कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) गोविंदनगर में जैव नियंत्रक प्रयोगशाला (Bio-control Lab) स्थापित है। इसका उद्देश्य किसानों को फसल सुरक्षा में रासायनिक कीटनाशकों के बजाय जैविक उपायों की ओर प्रोत्साहित करना है। यहाँ विभिन्न प्रकार के लाभकारी सूक्ष्मजीव और परजीवी-भक्षक कीटों का उत्पादन किया जाता है, जिनका उपयोग करके खेतों में कीटों और बीमारियों का प्रबंधन किया जाता है।

जैव नियंत्रक लैब से होने वाले लाभ व कामकाज

  1. परजीवी व भक्षक कीटों का उत्पादन

    • Trichogramma (परजीवी ततैया) – यह तना छेदक, फल छेदक जैसे कीटों के अंडों को नष्ट करता है।

    • Chrysoperla carnea (हरी लेसविंग) – यह सफेद मक्खी, एफिड्स, थ्रिप्स जैसे रसचूसक कीटों को खाता है।

  2. लाभकारी फफूंद (Bio-fungicides)

    • Trichoderma viride / Trichoderma harzianum – यह मृदा जनित रोग जैसे डैम्पिंग ऑफ, जड़ गलन, तना सड़न आदि को कम करता है।

    • Pseudomonas fluorescens – यह बीज व जड़ों को रोगों से बचाता है और फसल को स्वस्थ रखता है।

  3. लाभकारी जीवाणु (Bio-pesticides & Bio-fertilizers)

    • Beauveria bassiana, Metarhizium anisopliae – यह कीटों (जैसे की दीमक, पत्ती खाने वाले गिडार) को संक्रमित कर मारते हैं।

    • Bacillus thuringiensis (Bt) – यह लार्वा (इल्ली) को नियंत्रित करता है।

  4. किसानों को लाभ

    • खेतों में कीटनाशक रसायनों का उपयोग कम होता है।

    • मिट्टी की उर्वरता और सूक्ष्मजीव संतुलन बना रहता है।

    • उत्पादन लागत घटती है और फसल का स्वास्थ्य सुधरता है।

    • जैविक व अवशेष-रहित (Residue-free) फसल उत्पादन संभव होता है।

👉 इस प्रकार, KVK गोविंदनगर की जैव नियंत्रक लैब किसानों को सस्ते, पर्यावरण हितैषी और सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराती है, जिससे फसलें कीट व रोगों से सुरक्षित रहती हैं और स्वास्थ्य व पर्यावरण पर बुरा असर नहीं पड़ता।