सफलता की कहानी
“मूंगफली की उन्नत किस्म जी.जे. जी –32 से बढ़ा किसानों का आत्मविश्वास”
सफलता की कहानी “32 स्क्वायर मीटर से 2000 स्क्वायर मीटर तक का प्रेरणादायी सफर” किसान – श्री नीलेश कुशवाहा, ग्राम – तिंदवाड़ा
कृषि में सफलता की कहानियाँ यह सिद्ध करती हैं कि अगर लगन और प्रयास सच्चे हों तो सीमित संसाधन भी सफलता की बड़ी मिसाल बन सकते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायी कहानी है ग्राम तिंदवाड़ा के प्रगतिशील किसान श्री नीलेश कुशवाहा की, जिन्होंने अपनी मेहनत और सीखने की इच्छा से मात्र 32 स्क्वायर मीटर से नर्सरी उत्पादन शुरू किया और आज 2000 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में सफल नर्सरी का संचालन कर रहे हैं।
श्री नीलेश कुशवाहा ने कृषि विज्ञान केंद्र, गोविंदनगर से आर्या परियोजना के अंतर्गत नर्सरी प्रबंधन पर प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें पौध उत्पादन की तकनीकी जानकारी, बीज उपचार, पौध संरक्षण, पौधों की देखरेख एवं विपणन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से मार्गदर्शन मिला।
प्रशिक्षण के उपरांत उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से 32 स्क्वायर मीटर सेडनेट यूनिट स्थापित की। प्रारंभिक स्तर पर उन्होंने सब्जियों और फूलों की नर्सरी तैयार कर बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके पौधों की गुणवत्ता और मेहनत से तैयार पौधों की मांग बढ़ने लगी।
अच्छी आमदनी एवं बढ़ती मांग को देखते हुए श्री नीलेश ने अपने प्रयासों को और आगे बढ़ाया। उन्होंने अपनी नर्सरी का क्षेत्रफल बढ़ाते हुए आज 2000 स्क्वायर मीटर का आधुनिक सेडनेट तैयार कर लिया है, जहाँ वे सब्जी, फूल, फल एवं सजावटी पौधों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।
उनकी इस नर्सरी से आज आसपास के अनेक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। श्री नीलेश ने न केवल अपनी आमदनी में वृद्धि की है, बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन गए हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र, गोविंदनगर के वैज्ञानिकों के सतत मार्गदर्शन और श्री नीलेश की मेहनत ने यह साबित किया कि अगर सही दिशा और तकनीक मिल जाए तो कृषि के क्षेत्र में रोजगार और आत्मनिर्भरता दोनों संभव हैं।
🌱 श्री नीलेश कुशवाहा का संदेश:
“अगर आप सीखने और करने का मन बनाएं, तो छोटे से छोटा कदम भी बड़े बदलाव की शुरुआत बन सकता है।”